07-04-2009
मधुबन
अव्यक्त बापदादा
ओम् शान्ति

कारण शब्द से मुक्त रह चलन और चेहरे से मुक्ति देने वाले मुक्तिदाता बनो, सेवा के उमंग-उत्साह के साथ सदा बेहद की वैराग्य वृत्ति में रहो

आज बापदादा चारों ओर के बच्चे जो डबल मालिक हैं, उन हर एक बच्चे को देख रहे हैं। एक तो बाप के सर्व खजानों के मालिक हैं और दूसरा स्वराज्य के मालिक हैं। दोनों मालिकपन हर बच्चे को बाप द्वारा मिला हुआ है। बालक भी हैं और मालिक भी हैं। मेरा बाबा कहा और बाप ने भी मेरा बच्चा कहा, तो बालक और मालिक दोनों अनुभव है।

आज बहुत-बहुत बच्चे आये हैं, इस वर्ष का लास्ट टर्न है। तो आज बापदादा ने हर एक का पुरुषार्थ चेक किया। तो बताओ क्या देखा होगा? हर एक अपने से पूछे मेरा पुरुषार्थ क्या? बापदादा सभी बच्चों को देख खुश भी हुए लेकिन एक आश बाप की है, बतायें वह क्या है! बाप की आश को पूर्ण करेंगे ना! एक ही आश थी बतायें! हाथ उठाओ जो आश पूर्ण करेंगे! बहुत अच्छा। छोटी सी आश है, वह है आज से एक शब्द बदली करो, कौन सा शब्द? जो बार-बार नीचे ले आता है, वह शब्द है – “कारण”। इस कारण शब्द को परिवर्तन कर निवारण शब्द सदा धारण करो क्योंकि अभी आपकी सेवा भी कौन सी है? विश्व के आत्माओं की, सबकी समस्या का कारण निवारण कर, निवारण करते ही निर्वाणधाम में ले जाना है क्योंकि आप सभी मुक्तिदाता हो। तो जब औरों को भी मुक्ति दिलाने वाले हो तो स्वयं भी कारण को निवारण करेंगे तब औरों को मुक्ति दिला सकेंगे, निर्वाण में भेज सकेंगे। तो यह एक शब्द का अन्तर करना मुश्किल है कि सहज है? सोचो।

आज जो भी आये हैं वा अपने अपने स्थान पर देख रहे हैं, सुन रहे हैं, उन सभी से बापदादा एक शब्द का परिवर्तन चाहते हैं क्योंकि कारण ही नीचे ले आता है। कारण में तो आधाकल्प रहे, अभी निवारण करने का समय है। निवारण और निर्वाण, मुक्ति। तो आज बाप को यह देने की हिम्मत है? लास्ट टर्न है ना, सभी उमंग-उत्साह से आये हैं और बापदादा एक एक को मुबारक दे रहे हैं। सोने की, खाना खाने की मुश्किल भी है लेकिन सब स्नेह से, स्नेह के प्लेन ने आप सबको मधुबन में पहुंचा दिया है। बापदादा हर एक का स्नेह देख, हर एक को पदमगुणा दिल का स्नेह दे रहे हैं। लेकिन स्नेह में आप क्या करते हो? जिससे स्नेह होता है ना, उसको स्नेह में सौगात भी दी जाती है। तो आज बापदादा सौगात में यह कारण शब्द लेना चाहते हैं। यह आश बापदादा की पूर्ण करनी है ना! फिर हाथ उठाओ, यहाँ ही छोड़कर जाना है। यहाँ गेट से निकलो तो कारण शब्द समाप्त हो। गलती से आ भी जाए तो बाप को दी हुई चीज़ अमानत है। तो अमानत में क्या किया जाता है? वापस लिया जाता है? तो सभी ने दृढ़ संकल्प किया? किया? हाथ उठाओ फिर से। पीछे वाले हाथ हिलाओ। (आज शान्तिवन में करीब 28-29 हजार भाई बहिनें अन्दर बाहर बैठकर मुरली सुन रहे हैं, सभी हाथ हिला रहे हैं) अच्छा, बहुत अच्छा, क्योंकि अभी समय अनुसार आपके पास क्यू लगेगी। किसलिए क्यू लगेगी? हे मुक्तिदाता मुक्ति दो। तो देने वाले मुक्तिदाता पहले आप इस एक शब्द से मुक्त बनेंगे तब तो मुक्ति दे सकेंगे।

बापदादा यही चाहते हैं कि अभी इस वर्ष का होमवर्क यही रहे कि मुझे मुक्त बन मुक्ति दिलाना है क्योंकि समस्यायें दिनप्रतिदिन बहुत बढ़नी है। तो समस्या समाधान रूप में बदल जाए। मेहनत और समय समस्या मिटाने में नहीं लगे। क्या आपको अपने भक्तों की और समय की पुकार सुनाई नहीं देती! तो अभी समय अनुसार क्या परिवर्तन करना आवश्यक है? क्योंकि अभी हर एक को अनुभवी मूर्त बन कोई न कोई अनुभव कराने की आवश्यकता है। तो बाबा अभी चाहता है कि आप सबका चेहरा, चलन ऐसा स्पष्ट दिखाई दे कि यह मुक्तिदाता के बच्चे मुक्ति देने वाले हैं। आपके मस्तक से चमकते हुए सितारे का अनुभव हो। सिर्फ सुनाने से नहीं लेकिन चेहरे से ही अनुभव हो क्योंकि अनुभव नजदीक ले आता है। तो यह अनुभव चेहरे और चलन से दिखाओ। जैसे देखो साइन्स के साधन अनुभव कराते हैं ना, अभी गर्मी की सीजन है तो गर्मी का और सर्दी का अनुभव करा रहे हैं ना। जब साइन्स के साधन अनुभवी बनाते हैं तो क्या साइलेन्स की पावर, शक्ति का अनुभव नहीं करा सकती! तो बापदादा अभी बच्चों से यही चाहते हैं कि अनुभव की स्थिति में स्थित रह नयनों से, मस्तक से कोई न कोई शक्ति का अनुभव कराओ। सुनी हुई बात, सुनने के समय अच्छी लगती है लेकिन फिर कोई समस्या आती तो भूल भी जाते हैं। लेकिन अनुभव जीवन भर तक भूलता नहीं है।

बापदादा ने एक कारण देखा। रिजल्ट भी देखी, एक रिजल्ट देख बहुत-बहुत मुबारक दी। कौन सी रिजल्ट? आज तक सेवा का उमंग-उत्साह अच्छा है। तो बापदादा मुबारक भी देते हैं, सेवा बढ़ाते भी हैं और प्लैन भी अच्छे बनाते हैं, रिजल्ट भी यथा शक्ति मिलती है लेकिन एक बात अनुभव कराने के लिए अपने में अटेन्शन देना पड़ेगा। जैसे सेवा आपकी अभी प्रसिद्ध होती जाती है। खुश भी होते रहते हैं और आजकल इन्ट्रेस्ट भी बढ़ता जाता है। अभी बाकी अनुभव कराने की विधि क्या है? वह है उमंग-उत्साह सहित, जितना उमंग उतना ही समय अनुसार अभी बेहद की वैराग्य वृत्ति भी चाहिए। पुरुषार्थ में कोई समस्या रूप बनता है तो उसका कारण है बेहद के वैराग्य वृत्ति में कमी। अब बेहद का वैराग्य चाहिए। बेहद का वैराग्य सदाकाल चलता है। अगर समय पर होता है तो समय नम्बरवन हो जाता है और आप नम्बर टू में हो जाते हो। समय ने आपको वैराग्य दिलाया। बेहद का वैराग्य सदाकाल होता है। एक तरफ उमंग-उत्साह, खुशी और दूसरे तरफ बेहद का वैराग्य। बेहद का वैराग्य सदा न रहने का कारण? बापदादा ने देखा कि कारण है देह-अभिमान। देह शब्द सब बातों में आता है – जैसे देह के सम्बन्ध, देह के पदार्थ, देह के संस्कार, देह शब्द सबमें आता है और विशेष देह-अभिमान किस बात में आता है, जो देही-अभिमानी से देह-अभिमान में ले आता है, वह अब तक बापदादा ने चेक किया कि मूल कारण पुराने संस्कार नीचे ले आते हैं। संस्कार मिटाये हैं लेकिन कोई न कोई संस्कार नेचर के रूप में अभी भी काम कर लेता है। जैसे देह-अभिमान की नेचर नेचुरल हो गई है, ऐसे देही-अभिमानी की नेचर नेचुरल नहीं हुई है। कहते हैं हमने खत्म किया है लेकिन एकदम बीज को भस्म नहीं किया है। इसलिए समय आने पर फिर वह देहभान के संस्कार इमर्ज हो जाते हैं। तो अभी आवश्यकता है इस देह भान की नेचर को पावरफुल देही-अभिमानी की शक्ति से वंश सहित नाश करने की, क्योंकि बच्चे कहते हैं चाहते नहीं हैं लेकिन कभी कभी निकल आता है। क्यों निकलता? अंश है तो वंश होके निकल जाता। तो अभी आवश्यकता है शक्ति स्वरूप बनने की, आधार है अपने आपको चेक करो कि किसी भी स्वरूप में अंशमात्र भी पुराना देह भान का संस्कार रहा हुआ तो नहीं है? और वह खत्म होगा बेहद की वैराग्य वृत्ति से। सर्विस देख सुन बापदादा खुश है लेकिन अब बाप की यही चाहना है कि जैसे सर्विस की फलक, झलक अब लोगों को दिखाई देती है। अनुभव होता है सेवा का, ऐसे बेहद की वैराग्य वृत्ति का प्रभाव हो क्योंकि आजकल सेवा द्वारा आपकी प्रशन्सा बढ़ेगी, आपकी प्रकृति दासी होगी। अनुभव करेंगे साधन बढ़ेंगे लेकिन बेहद की वैराग्य वृत्ति से साधन और साधना का बैलेन्स रहेगा। जैसे आप लोग प्रवृत्ति में रहने वालों को दृष्टान्त देते हो कि सब कुछ करते कर्मयोगी कमल पुष्प के समान रहो। ऐसे आप सभी को भी सेवा करते, साधन मिलते, साधना और साधन का बैलेन्स रहेगा। तो आजकल एडीशन सेवा के साथ बेहद की वैराग्य वृत्ति भी आवश्यक है। चलते फिरते भी अनुभव करें कि यह विशेष आत्मायें हैं। सिर्फ योग में बैठने के टाइम नहीं, भाषण करने के टाइम नहीं लेकिन चलते फिरते भी आपके मस्तक से शान्ति, शक्ति, खुशी की अनुभूति हो क्योंकि समय प्रति समय अभी समय बदलता जायेगा।

तो बापदादा ने समय प्रति समय इशारा तो दे दिया है लेकिन आज विशेष बापदादा एक तो बेहद के वैराग्य तरफ इशारा दे रहा है, इसके लिए अभी अपने को चेक करके देही-अभिमानी बनने में जो देह-अभिमान का विघ्न है, अनेक प्रकार के देह-अभिमान का अनुभव है, इसका परिवर्तन करो। और दूसरी बात बहुत समय का भी अपना सोचो। बहुत समय का अभ्यास चाहिए। बहुत समय पुरुषार्थ, बहुत समय का प्रालब्ध। अगर अभी बहुतकाल का अटेन्शन कम देंगे तो अन्तिम काल में बहुतकाल जमा नहीं कर सकेंगे। टूलेट का बोर्ड लग जायेगा इसलिए बापदादा आज दूसरे वर्ष के लिए होमवर्क दे रहे हैं। यह देह-अभिमान सब समस्याओं का कारण बनता है और फिर बच्चे रमणीक हैं ना, तो बाप को भी दिलासा दिलाते हैं कि समय पर हम ठीक हो जायेंगे। बापदादा कहते हैं कि क्या समय आपका टीचर है? समय पर ठीक हो जायेंगे तो आपका टीचर कौन हुआ? आपकी क्रियेशन समय आपका टीचर हो, यह अच्छा लगेगा? इसलिए समय को आपको नजदीक लाना है। आप समय को नजदीक लाने वाले हैं। समय पर रहने वाले नहीं। समय को टीचर नहीं बनाओ।

तो बापदादा आज यही बार-बार इशारा दे रहे हैं कि स्वयं को चेक करो, बार-बार चेक करो और परिवर्तन करो। बहुतकाल का परिवर्तन बहुतकाल के प्रालब्ध का अधिकारी बनाता है। तो कोई बच्चा चाहे अब तक ढीला-ढाला पुरुषार्थी हो लेकिन लास्ट नम्बर वाले बच्चे से भी बाप का स्नेह है। स्नेह है तब तो बाप का बना है, बाप को पहचाना है, मेरा बाबा तो कहता है इसलिए समय पर नहीं छोड़ो। समय आयेगा नहीं, हमको सम्पूर्णता का समय समीप लाना है। बापदादा के विश्व परिवर्तन के कार्य के आप सभी साथी हो। अकेला बाप कार्य नहीं कर सकता, बच्चों का साथ है। बाप तो कहते हैं पहले बच्चे, आगे बच्चे। तो अभी अगर दूसरे वर्ष में आना ही है तो यह होम वर्क करके रखेंगे! करेंगे? हाँ, हाथ उठाओ। अच्छा। पीछे वाले भी हाथ उठा रहे हैं।

देखो, आज संख्या बढ़ गई है तो बापदादा ने बच्ची को इशारा दिया कि चक्कर लगाके देखकर आओ, कहाँ-कहाँ सोये हैं, कैसे लाइन में खाते हैं। लम्बी लाइन। लेकिन सबके चेहरे पर खुशी है – मधुबन में तो हैं। लेकिन यह खुशी मधुबन में ही छोड़के नहीं जाना, साथ ले जाना। बापदादा ने वतन में बैठे आप सबके सोने का, खाना खाने की क्यू का नज़ारा देखा। बापदादा को ऐसा संकल्प होता कि अभी अभी रजाईयों की, गदेलों की बरसात पड़ जाए। परन्तु यह भी मौजों का मेला है और अच्छी तरह से बापदादा ने देखा, जहाँ भी मिला, जैसे भी मिला है, सब मैजारिटी अच्छी तरह से पास हैं। ताली बजाओ। लेकिन यह होमवर्क भूलना नहीं, इसमें ताली नहीं बजाते। बापदादा और विशेष ब्रह्मा बाप हमेशा बच्चों को मधुबन का श्रृंगार कहते हैं। तो आप सब मधुबन में आये, बापदादा भी साकार रूप से इतने परिवार को देख खुश है। सहन करना पड़ा है, लेकिन यह सहन सदा के लिए सहनशक्ति बढ़ायेगा। सभी खुश हो ना! तकलीफ तो नहीं हुई। और देखो इतने परिवार में पानी फिर भी मिलता रहा है। सभी ने पानी यूज़ किया ना! थोड़ा कम है तो ध्यान रखना पड़ेगा परन्तु आजकल गांव में पानी पीने का भी नहीं मिलता, यहाँ तो आपको कपड़े धोने का भी पानी मिला। और इतना परिवार देख खुशी भी होती है। सारे कल्प में बापदादा को यह फखुर है कि इतना बड़ा परिवार किसी का नहीं है।

जो पहले बारी बापदादा से मिलने आये हैं, वह उठो। देखो, आधा क्लास पहले बारी वाला है। पीछे वाले हाथ उठाओ। खड़े होकर देखो। जो भी पहले बारी आये हैं उन्हों को बापदादा नये बर्थ का, बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं। लोग कहते हैं लाख-लाख बधाई हो, बाप कहते हैं पदम पदमगुणा बधाई हो। और बापदादा अभी आने वालों को सदा एक चांस देते हैं, वह चांस है कि अभी आने वाले भी अगर तीव्र पुरुषार्थ करें तो बापदादा वा ड्रामा उन्हों को लास्ट सो फास्ट, फास्ट सो फर्स्ट, यह भी आगे नम्बर दे सकता है। चांस है। चांसलर बनो। सिर्फ अटेन्शन देना पड़े। अच्छा है, आप सभी को भी परिवार की वृद्धि अच्छी लगती है ना। देखो मधुबन के सेवाधारी वैसे तो हर ज़ोन टर्न बाई टर्न आता है, मददगार है लेकिन मधुबन निवासी मधुबन की सब भुजायें, दादी कहती थी यह सब मधुबन की भुजायें हैं। चाहे नीचे, चाहे ऊपर, चाहे बगीचा, चाहे हॉस्पिटल, चाहे नीचे के आबू निवासी, चाहे ऊपर के आबू निवासी, सब मधुबन की भुजायें हैं। तो बापदादा ने देखा कि आज मधुबन वालों ने त्याग किया है। यहाँ के बजाए अपने अपने स्थान पर बैठे हैं लेकिन बापदादा दूर से नहीं देख रहे हैं, बापदादा दिल में समाया हुआ देख रहे हैं। फिर भी अथक सेवाधारी बन सेवा में सहयोगी तो बनते हैं ना। तो आज विशेष मधुबन उसकी सर्व भुजायें, सभी को बापदादा विशेष मधुबन निवासियों को मुबारक दे रहे हैं, मुबारक हो, मुबारक हो। अभी सभी एक दो को कहते हैं कि यह लास्ट टुब्बी है, लास्ट टुब्बी (डुबकी) का भी महत्व होता है। देखो 40 वर्ष भी पूरे होने वाले हैं। 40 वर्ष में सेवा का चांस लेने वाले कितने भाग्यशाली हैं। सेवा अर्थात् मेवा। सेवा करना नहीं है, मेवा खाना है। बाबा की नज़र में, दिल में हर एक बच्चा दिलतख्तनशीन है। कोई भी ऐसे नहीं समझे पता नहीं, बाबा ने हमको देखा या नहीं देखा। बापदादा एक-एक बच्चे को चाहे दूरदेश में भी है, तो भी दिलतख्त निवासी देख रहे हैं। पीछे वाले भी पीछे नहीं हो बापदादा के दिल पर हो। और अनेक होते भी देखो साइलेन्स कितनी अच्छी है, क्यों? सभी स्नेह में खोये हुए हैं। बापदादा और परिवार के स्नेह की शक्ति सबको आकर्षण कर रही है। इतना परिवार और शान्ति की शक्ति में खुशी मनाये, यही इस साइलेन्स की, परिवार की विशेषता है। चाहे सीट कैसी भी मिले लेकिन आप कौन सी सीट पर बैठे हो? पीछे है, बाजू में है, सामने नहीं हैं, लेकिन एक-एक स्नेह की सीट पर बैठे हो। मधुबन निवासियों (भुजाओं सहित) एक-एक को बापदादा पदमगुणा स्नेह दे रहा है। आज दादियों को भी और निमित्त साथियों को भी बापदादा सदा अथक बन सेवा करने की मुबारक दे रहे हैं। साथ में बच्ची को, रथ को भी बापदादा मुबारक दे रहे हैं। आपकी भाकी पहुंच गई। देखो, यह बचपन से वरदान है। बच्ची को ट्रांस का वरदान बचपन से ही है, इसलिए बच्ची में सरलता और सहनशीलता इसकी विशेषता के कारण यह निमित्त पार्ट मिला है। हर एक का अपना-अपना अच्छा पार्ट है। तो बापदादा दादियों को सम्भालने वाले, मुन्नी-मोहिनी को भी खास बड़ी दादी को साथ देने की मुबारक दे रहे हैं और अभी जो निमित्त हैं उन्हों को भी मुबारक। और सेवा स्थानों पर टीचर्स हैं, उन टीचर्स को भी बापदादा मुबारक दे रहे हैं। जहाँ से भी टीचर्स आई हैं, उन्हों को बापदादा एक विशेष सेवा याद दिलाता है, जो होमवर्क करना। टीचर्स के लिए होमवर्क है कि सदा टीचर अपने को बापदादा के सच्चे साथी, समीप के साथी अपने द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाली, कोई भी आपको देखे तो इन्हों को बनाने वाला कौन! इन्हों का भी बाप, शिक्षक, सतगुरू कौन! आपको नहीं देखे, बाप को देखे। इसी स्वमान में यह 6-7 मास जो मिलना है, यह होमवर्क करना फिर बापदादा पूछेगा कि हर एक ने कितने परसेन्ट में किया? ज्यादा समाचार नहीं पूछेगा, कितनी परसेन्ट यह होमवर्क किया? आप नहीं दिखाई दे, बाप दिखाई दे। इसमें सब धारणा आ जाती है। मधुबन वालों को भी बापदादा यादप्यार तो दे ही रहे हैं। लेकिन मधुबन वाले भी चारों तरफ के यह समझें कि मधुबन का एक-एक रत्न विशेष बाप को प्रत्यक्ष करने के निमित्त है। तो सारा समय मधुबन वाले ऐसे मन्सा सेवा, कर्मणा सेवा और सबको बाप समान बनाने का एक्जैम्पुल बनके दिखायें। तो मधुबन वालों को यह रिजल्ट देनी है कि बाप समान बनने का नक्शा अपने में दिखाया? हर एक के मुख से निकले वाह बाबा के बच्चे वाह! और आप सभी क्या करेंगे? आप सभी अपने को नम्बरवार नहीं लेकिन नम्बरवन बनने का एक्जैम्पुल बनके दिखाना। नम्बरवार बनने में मजा नहीं, बनना है तो नम्बरवन। नम्बरवार बनना क्या बड़ी बात! तो सभी विन और वन यह रिजल्ट सुनाना। अच्छा।

सभी तरफ के बापदादा के दिलतख्तनशीन और भृकुटी के तख्तनशीन और भविष्य के भी राज्य तख्तनशीन ऐसे बापदादा के सिकीलधे, पदम पदमगुणा भाग्यशाली बच्चों को सदा अपने नयनों द्वारा रूहानियत का अनुभव कराने वाले और चेहरे द्वारा सदा खुशकिस्मत, मन सदा खुशी में नाचता रहे, कोई भी सामने आवे, अनुभव करे कि इन जैसी खुशी कहाँ भी नहीं है और सबक (पाठ) सीखके जायें। ऐसे हर बाप के बच्चे अपने द्वारा बाप का, मुख द्वारा बाप का परिचय देते हो लेकिन नयनों और चेहरे द्वारा बाप का साक्षात्कार कराने वाले, ऐसे चारों ओर के बच्चों को, जिन्होंने पत्र भेजे हैं, ईमेल किया है, सभी के बापदादा के पास पहुंचे हैं, जिस समय आपने किया, उसी समय बाप के पास पहुंच गया। सामने बैठे हुए वालों से आप सबने जिस समय किया, उसी समय पहुंच गया इसीलिए बहुत-बहुत मुबारक हो। देश विदेश के सब बच्चों को बाप दिल के स्नेह का रेसपान्ड दे रहे हैं। तो चारों ओर के बच्चों को बापदादा पदमगुणा दिल का दुलार, दिल का प्यार दे रहे हैं और सभी को नमस्ते कह रहे हैं। अच्छा – आज टर्न किसका है?

ईस्टर्न ज़ोन (बंगाल बिहार, उड़ीसा, आसाम), नेपाल और तामिलनाडु ज़ोन का टर्न है:- (टीचर्स ने ताज पहने हैं) अच्छा – इस ज़ोन में और ज़ोन के भी एड हैं। तो नेपाल वाले हाथ उठाओ। अच्छा – चेन्नई वाले, तामिलनाडु वाले हाथ उठाओ। अच्छा है। सभी को मिलाकर ईस्टर्न ज़ोन कहते हैं, जहाँ ज्ञान सूर्य प्रगट हुआ। तो ज्ञान सूर्य के प्रभाव की शक्तिशाली धरनी है। जैसे फॉरेन वाले कहते हैं ना, भारत में ही बाप क्यों आया? तो भारत का प्रभाव है ना। ऐसे भारत में भी ईस्टर्न में ज्ञान सूर्य प्रगटा। तो धरनी में प्रभाव है इसलिए इस ज़ोन में और भी ज़ोन हैं। अच्छी, भिन्न-भिन्न प्रकार से सेवा कर रहे हो। अब बापदादा कोई कमाल देखने चाहते हैं। बापदादा ने पहले भी कहा है कि हर ज़ोन विशेष अपने वी.आई.पी भी तैयार करो। लेकिन सिर्फ स्नेही सहयोगी नहीं, सेवा में हर कार्य में साथी, सिर्फ सहयोगी नहीं। साथी भी, सहयोगी भी, माइक भी, ऐसी लिस्ट अभी तक कोई-कोई ज़ोन ने दिया है लेकिन मिक्स वी.आई.पी हैं। खास ऐसे वी.आई.पी जो वारिस क्वालिटी के नजदीक हो, भले वारिस प्रैक्टिकल नहीं हो, सरेन्डर नहीं हो लेकिन क्वालिटी वारिस की। तो ऐसे बापदादा के पास ग्रुप नहीं आया है। दो चार अलग नाम भेजे हैं लेकिन नाम आवे और विशेष कमेटी पास करे फिर उस ग्रुप को बापदादा विशेष कार्य में लगायेगा। फिर भी वृद्धि-विस्तार अच्छा है। इसका नाम रखते हैं बंगाल और बिहार, यह भी टाइटल देते हैं। तो बापदादा के पास बिहार में बहार आई, यह फोटो आया है और समाचार अच्छा सुनाया कि जब से बिहार में हलचल हुई (बाढ़ आई) तो जो भी एरिया है उसमें सेन्टर खुल गये हैं। उसकी मुबारक हो। बंगाल वाले भी आस पास में बढ़ रहे हैं। लेकिन अभी जो होमवर्क दिया है उसमें नम्बरवन बनेंगे ना। बाकी बापदादा सेवा के क्षेत्र में चारों ओर की मेहनत और प्लैन देखते रहते और खुश हैं। जैसे दिल्ली में भी अभी किया। ऐसे कुछ न कुछ नवीनता लाते रहो। चाहे विघ्न आया लेकिन योग की शक्ति ने कवर कर लिया। तो ऐसे छोटे-बड़े छोटे-छोटे प्रोग्राम्स करते रहो और बापदादा ने इस वर्ष के लिए जो प्लैन दिया कि एक ही समय एक ही टापिक हर ज़ोन में भारत में और विदेश में भी हो तो यह रिजल्ट भी बापदादा के पास आई है कि कईयों को यह उमंग-उत्साह है और मीटिंग में इसका प्लैन बनायेंगे, यह भी अच्छा है। जैसे दिल्ली में मीडिया में प्रोग्राम चालू किया तो रिजल्ट है ना। स्टूडेन्ट जगह-जगह पर बने हैं, यह है रिजल्ट। ऐसे हर एक अपने अपने शहर में या ज़ोन में, ज़ोन में तो कर ही सकते हैं। कोई न कोई प्रोग्राम के टाइम मीडिया द्वारा चारों ओर दिखायें, कोई ऐसा प्रबन्ध करें। तो क्या है अगर घर बैठे सभी को घर में देखने को मिलता है तो वह भी आपका उल्हना पूरा हो जाता है। इसलिए जब भी कोई प्रोग्राम करते हो थोड़ा सा जैसे और खर्चा करते हो वैसे वह प्रोग्राम मीडिया द्वारा भी चारों ओर देखें, यह भी प्रबन्ध करना अच्छा है और हो सकता है कि मीडिया वाले चारों तरफ आपका फंक्शन देख शुभ भावना देख साथी भी बन जायें। साथी नहीं बनें, तो सहयोगी तो बन जायें। तो सेवा करो लेकिन सेवा के साथ-साथ अपनी बेहद के वैराग्य की चेकिंग भी जरूर रखना, बैलेन्स हो। अच्छा, मुबारक हो ज़ोन को। जो सभी को देखो, कितनों को यज्ञ सेवा का चांस दिया। अच्छा लगा ना। अच्छा लगा? यज्ञ सेवा का हजार गुणा पुण्य ज्यादा बनता है। तो आप जो सच्ची दिल, बड़ी दिल से सेवा करने वाले बनें, उन्हों का हजार गुणा ज्यादा पुण्य का खाता जमा हुआ। अच्छा है, संख्या भी अच्छी है। बाकी कोई नया काम करके दिखाना। अच्छा। सभी को, ज़ोन में आये हुए एक-एक भाग्यवान आत्मा को बापदादा पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

डबल विदेशी:- (40 देशों के 300 भाई बहिनें आये हैं) आप विदेशी हो? लेकिन सबसे बड़ा विदेशी कौन? बापदादा तो आपसे भी बड़ा विदेशी है। कितना दूर से आते हैं! आपकी एरिया तो माप सकते हैं लेकिन बाप की एरिया हिसाब निकाल सकते हैं? आपको विदेश से देश में आने में कितना टाइम लगता है? और बापदादा को आने में कितना टाइम लगता है? तो विदेश में भी सेवा और स्व परिवर्तन की लहर चल रही है। बापदादा ने समाचार सुना कि जो मधुबन में किसी कारण से नहीं आये, उन्हों के लिए भी अपने अपने स्थान पर ट्रेनिंग वा भट्ठी का प्रोग्राम चलाते हैं, यह भी अच्छी बात है। और वह भी अनुभव करते हैं कि मन से मधुबन पहुंच गये हैं। आप तन और मन से पहुंचे हो, वह मन से मधुबन में पहुंचते हैं। अच्छा, गायत्री पहुंच गई। अच्छा है। अनुभव अच्छा हो रहा है। अंकल और आंटी का भी यादप्यार पहुंचा। बापदादा तो हमेशा कहते पहला वी.आई.पी विदेश में निमित्त अंकल आंटी बनें और प्यार भी याद भी अच्छी है। बापदादा भी ऐसे सर्विसएबुल बच्चों को विशेष किरणें देते हैं। ब्रह्मा बाबा साकार में भी ऐसे सिकीलधे बच्चों को रात को जाग जागकर करेन्ट देते थे। तो अब भी बापदादा वतन से बच्चों को, स्नेही बच्चों को, सर्विसएबुल बच्चों को करेन्ट देते हैं, सकाश देते हैं और सकाश पहुंचती है।

तो डबल विदेशी डबल तीव्र पुरुषार्थी हैं। ऐसे हैं ना! डबल तीव्र पुरुषार्थी, हैं ऐसे? हाथ उठाओ। अच्छा। बापदादा हर एक बच्चे को तीव्र पुरुषार्थी देखने चाहते हैं। पुरुषार्थी नहीं, तीव्र पुरुषार्थी। (मुरली भाई भी बहुत याद करता है) बापदादा को याद पहुंचती है। वह भी निमित्त तो बना ना। रजनी बच्ची भी गुप्त रूप में लण्डन का सेन्टर खुलवाने के निमित्त तो बनी। इनडायरेक्ट मुरली बच्चे का भाग्य तो बना। अभी तो बच्चा बन गया। वह भी याद करता है। वैसे चारों ओर के देश वाले या विदेश वाले जो भी याद करते हैं और करते हैं, बापदादा के पास लिस्ट लम्बी है। दिल से निकलता है मेरा बाबा और बापदादा हाजिर हो जाते हैं। तो अच्छा है। अच्छा यह (कुवेत से वजीहा बहन) आई है, आपका ग्रुप कहाँ है? देखो, साथी भी बना दिया। सिकीलधे बच्चे लाई हो। अच्छा। एक-एक बच्चा बाप को एक दो से प्यारा है। अगर नाम लेवें तो कितनों का लेवें। सभी समझो हमारा नाम बाप के दिल पर है। अच्छी सेवा करते हैं। आजकल विदेश में दिखाई देता है मिडिल इस्ट की बारी ज्यादा है। सब धर्मों को सन्देश तो पहुंचना है ना।

अभी हर ज़ोन एक पुरुषार्थ करे, क्या करे? कोई ऐसा नास्तिक, कड़ा नास्तिक को आस्तिक बनाके लावे। फिर वह सबके आगे अपना अनुभव सुनाये – नास्तिक से आस्तिक कैसे बना। बड़ी सभा में अपना अनुभव सुनावे। छोटे-मोटे नहीं लेकिन ऐसा हो जिसका प्रभाव जनता पर पड़े। जैसे हर वर्ग की सेवा करते हो ना, तो ऐसे भी कोई तैयार करो। ऐसे ही कोई धर्म वाले को अथॉरिटी को तैयार करो, जो अपना अनुभव सुनावे कि वास्तव में परमात्मा का जो सही परिचय ब्रह्माकुमारियां देती हैं, ब्रह्माकुमार देते हैं वह राइट कैसे है? उनके मुख से यह अथॉरिटी के बोल निकलें। आखिर एक प्वाइंट रही हुई है, गीता का भगवान कौन? वह भी सिद्ध तो होगी ना। जब यह सिद्ध हो तब कहें भगवान आ गया। बहुत अच्छा। मधुबन का श्रृंगार बनके आते हो और बापदादा देखकर खुश होते हैं। अच्छा।

दादियों से:- (सभा से) आप सब भले दूर बैठे हो लेकिन आप सभी को बापदादा भाकी पहन रहा है। पीछे वालों को पहले भाकी पहन रहे हैं। स्नेह क्या नहीं अनुभव करा सकता। अच्छा। (डा.निर्मला से) अच्छा पार्ट बजा रही हो बापदादा खुश है।

(परदादी से) (इस्टर्न ज़ोन की इन्चार्ज है):- निमित्त तो बनी। निमित्त बनी है, आपके कारण सभी बाबा बाबा याद करते हैं, जो नये-नये आये हैं वह आपको देखकरके आपको नहीं देखते, बाप को देखते हैं। यह विशेष वरदान है। अच्छा।

शान्तामणि दादी से:- सभी अपना-अपना पार्ट समय पर अच्छा बजा रही हो। सभी पुरानों को किस नज़र से देखते हैं? आदिकाल के हैं। आदिकाल का महत्व है। बाकी थोड़े बचे हैं लेकिन आदिरत्न तो हैं ना। अच्छा।

बृजमोहन भाई से:- दिल्ली का प्रोग्राम अच्छा हुआ। एक बारी सिस्टम बन गई ना तो अभी आगे के लिए भी बनती रहेगी। अभी सभी के ध्यान में आयेगा कि क्या कार्य कर रहे हैं।

दिल्ली की टीचर्स उठो, खड़ी हो जाओ। अच्छा। सर्विस की अच्छा लगा ना। सभी का एक ही संकल्प साथ रहा। अभी आगे बढ़ता रहेगा। जो अनुभव हुआ वह आगे भी बढ़ेगा लेकिन कोई भी कार्य में सफलता चाहते हैं तो उसका पहला फाउण्डेशन है सबकी एकमत। सभी के दिल में उमंग-उत्साह हो। तो पेपर भी अनुभवी बनाता है। तो ऐसे ही संगठन की शक्ति सब सहज कर सकती है। बापदादा हिम्मत देख खुश है। जहाँ हिम्मत है वहाँ प्रकृति की, साथियों की सब मदद मिल जाती है। तो मुबारक हो।

(अभी इससे भी बड़ी सभा करेंगे, उसमें बापदादा को भी आना है) बापदादा ने तो अभी भी देखा। आपने नहीं देखा। (अजमेर में भी अच्छा प्रोग्राम हुआ) अच्छी हिम्मत रखी। हिम्मत रखी तो सफलता है।

चेन्नई का समाचार भी सुना था। तो जो प्रोग्राम कर रहे हैं, है छोटा सा प्रोग्राम लेकिन रिजल्ट अच्छी है। (चेन्नई वाली टीचर्स उठो) अच्छा है। बापदादा ने रिजल्ट सुनी। कम खर्चा और रिजल्ट अच्छी निकाली है। क्योंकि उस तरफ शिव की पूजा दिल से करते हैं। तो छोटा सा मेला (ज्योर्तिलिंगम मेला) है लेकिन रिजल्ट अच्छी है। हर एक ज़ोन कुछ न कुछ कर रहा है। कभी कोई करता है, कभी कोई करता है लेकिन सभी ज़ोन को बापदादा जिन्होंने नहीं भी किया है, उनको भी पहले से करने की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा। ओम् शान्ति।